सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषक अहार के रुप में बच्चों को अंडा देने का प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया यगा है। इसकी वजह है बजट का अभाव। राशि की व्यवस्था न हो पाने की वजह से वित्त विभाग ने महिला बाल विकास द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। दरअसल प्रदेश में बच्चों को सप्ताह में तीन दिन अंडा देने पर एक साल में करीब 130 करोड़ रुपए खर्च होगें। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि सरकार आगामी बजट में इसका प्रस्ताव करेगी। दरअसल, सरकार का पहला लक्ष्य चुनावर वचनों को पूरा करने पर है। महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों को अंडा परोसने की योजना तैयार कराई थी, इसका शुरू होने से पहले ही विरोध हो गया। इसके बाद सरकार ने तय किया कि अंडा वैकल्पिक होगा। विभाग ने 130 करोड़ रुपए सालाना खर्च का प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को भेजा है। विभाग ने कहा है कि वे अपने नियमित बजट से बच्चों को अंडा खिला सकते हैं तो खिलाएं। सरकार के पास फिलहाल अतिरिक्त धनराशि नहीं है।
मंत्रियों ने उठाई थी मांग
कैबिनेट में आदिवासी मंत्रियों ने आंगनबाड़ी में अंडा देने की मांग उठाई थी। उनका कहना था कि आदिवासी बच्चे कुपोषित होते हैं। अंडे से उनको बेहतर पोषण आहार मिल सकेगा।
सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषक अहार के रुप में बच्चों को अंडा देने का प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में